देशभर में बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र को लेकर एक क्रांतिकारी बदलाव किया गया है। अब माता-पिता को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही नवजात का बर्थ सर्टिफिकेट उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर व्हाट्सएप के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगा।

केंद्र सरकार ने इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिससे अभिभावकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी।


अस्पताल से सीधे घर, साथ में प्रमाण-पत्र भी
इस महत्वपूर्ण बदलाव का उद्देश्य बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने की लंबी और थकाऊ प्रक्रिया को समाप्त करना है। अब बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल में ही प्रमाण-पत्र तैयार किया जाएगा और माता-पिता को बच्चे के डिस्चार्ज के समय या उससे पहले ही सौंप दिया जाएगा।
भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के संयुक्त निदेशक ए.के. पांडेय ने सभी राज्यों के मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म एवं मृत्यु पंजीयन) को आदेश जारी करते हुए कहा है कि नवजात बच्चों की माताओं को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाए। उन्होंने विशेष रूप से उन अस्पतालों पर जोर दिया है, जहां देश के 50 प्रतिशत से अधिक संस्थागत जन्म होते हैं।

सात दिन की समय-सीमा, डिजिटल सुविधा
रजिस्ट्रार कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि नवजात का जन्म पंजीकरण कराने के 7 दिन के भीतर ही उसके परिवार को जन्म प्रमाण-पत्र मिल जाना चाहिए। यह सर्टिफिकेट इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य प्रारूप में भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने बताया कि जन्म प्रमाण-पत्र की बढ़ती मांग और अभिभावकों को होने वाली असुविधा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अस्पताल से छुट्टी होने से पहले ही नवजात की मां को प्रमाण-पत्र प्रदान कर दिया जाए।