डीडवाना: पुलिस थाना मौलासर और खुनखुना में दर्ज एनडीपीएस एक्ट मामलों की जांच के दौरान नागौर पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एक हथियार और मादक पदार्थ तस्करी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए डीडवाना पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनके कब्जे से अत्याधुनिक विदेशी हथियार बरामद किए गए हैं।


दरअसल, दिनांक 26 जून 2025 को मौलासर थाना के प्रकरण संख्या 84/2025 एवं खुनखुना थाना के प्रकरण संख्या 87/2025 (धारा 8/21 एनडीपीएस एक्ट) की जांच के दौरान थानाधिकारी राजेन्द्र सिंह द्वारा की गई पूछताछ में दो अभियुक्तों मोहम्मद इलियास (28) पुत्र गन्नी मोहम्मद निवासी शेरानी आबाद (खुनखुना) और अमरजीत सिंह तखर उर्फ प्रिंस (33) पुत्र हरमेन्द्र सिंह निवासी जालंधर (पंजाब) से अहम सुराग मिले।
मोहम्मद इलियास की निशानदेही पर पुलिस ने दो विदेशी पिस्टल, दो ऑस्ट्रिया निर्मित ग्लॉक पिस्टलों के पुर्जे और एक अन्य विदेशी पिस्टल के खुले हुए पुर्जे जब्त किए। कुल मिलाकर पांच अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए।


अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा –
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह गिरोह दुबई और पाकिस्तान से संचालित होता है। इसका मुख्य सरगना असगर अली दुबई से पूरे नेटवर्क को नियंत्रित करता है। असगर पाकिस्तान के तोफिक, जोबन और मोहम्मद इसहाक के माध्यम से भारत-पाक सीमा के नजदीक से हथियार और मादक पदार्थ भारत में भेजता था।
इन्हें भारत में रिसीव करने का जिम्मा मोहम्मद इलियास और अमरजीत सिंह पर था, जो फिर इन्हें राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में वितरित करते थे।
तकनीकी तरीकों से संवाद – गिरोह के सदस्य एक-दूसरे से संपर्क रखने के लिए बॉटम ऐप, व्हाट्सऐप कॉल और विदेशी सिम कार्ड्स का इस्तेमाल करते थे ताकि भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके।
बरामद हथियारों की प्रकृति
बरामद हथियारों में ग्लॉक और नोरिन्को जैसी घातक पिस्टलें शामिल हैं, जिन्हें दुनियाभर में सेना और विशेष सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग किया जाता है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इतने घातक हथियारों का पाकिस्तान से भारत पहुंचना सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
पुलिस जांच – पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों, उनके संपर्क सूत्रों और फाइनेंशियल नेटवर्क की गहन जांच कर रही है।
राजस्थान, पंजाब और यूपी में इनके आपराधिक गठजोड़ की भी पड़ताल की जा रही है। गिरोह की गतिविधियों और इनके विदेशी आकाओं की पहचान के लिए तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।