कुचामन सिटी में प्रस्तावित मातृ एवं शिशु विंग के लिए भूमि चयन और दान प्रक्रिया को लेकर अब विवाद कोर्ट तक पहुंच गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता रमेश चौधरी ने इस संबंध में अस्थायी लोक अदालत के समक्ष एक विस्तृत प्री-लिटिगेशन याचिका दाखिल की है।


यह याचिका विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 19 व 20 के तहत दायर की गई है, जिसका उद्देश्य जनहित में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालना और प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच कराना है।
याचिका में क्या कहा गया…
याचिका में बताया गया है कि वर्ष 2023 में जिला कलक्टर डीडवाना-कुचामन ने कुचामन सिटी स्थित खसरा नंबर 2388 की 4 हैक्टेयर भूमि राजकीय जिला चिकित्सालय के नाम आवंटित की थी। यही नहीं, इसी खसरे में 18.30 हैक्टेयर भूमि और पास के खसरा नंबर 2389 की करीब 500 बीघा सरकारी भूमि आज भी उपलब्ध है, जिसे एमसीएच विंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
“वर्ष 2021 में भी तहसील प्रशासन द्वारा इसी क्षेत्र को चिकित्सालय और जन उपयोगी कार्यों के लिए आरक्षित करने की अनुशंसा की गई थी।
इसके बावजूद सरकारी अधिकारियों ने अचानक सरकारी भूमि अनुपलब्ध होने का हवाला देते हुए, एक निजी डवलपर की गेटेड टाउनशिप ‘कुचामन वैली’ में स्थित निजी भूमि स्वीकार कर ली।”

विवादित दान और पत्रावली पर उठे सवाल
याचिका के अनुसार, श्रीराम बालाजी डवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. के निदेशक राजकुमार माथुर (प्रतिवादी संख्या 4) ने 2.91 हैक्टेयर निजी भूमि दान में दी, जो खसरा नंबर 160/83, 164/83 (ग्राम त्रिसिंगा) और 573 (ग्राम सरगोठ) में स्थित है। यह भूमि वर्तमान जिला चिकित्सालय से 8-9 किलोमीटर दूर बताई गई है, जबकि प्रशासन इसे केवल 1 किलोमीटर दूर बता रहा है।
याचिका में यह भी उल्लेख है कि इस दान की गई भूमि के बगल में प्रतिपक्षी संख्या 2 (डॉ. विजय कुमार गुप्ता) और प्रतिपक्षी संख्या 4 स्वयं भी भूमि के हिस्सेदार हैं। यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का मामला है।
सबसे बड़ी आपत्ति उस पत्र पर उठी है, जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया। राजस्व/2025/93 क्रमांक के इस पत्र को उपखंड अधिकारी सुनील चौधरी द्वारा जारी बताया गया है, लेकिन जब इसकी प्रति मांगी गई तो संबंधित अधिकारी ने ही इसके अस्तित्व से इनकार कर दिया। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया में गंभीर पारदर्शिता की कमी उजागर होती है।
सामाजिक संगठनों का विरोध…
20 मई 2025 को शहर के दर्जनों सामाजिक संगठनों ने एमसीएच विंग को कुचामन वैली में स्थानांतरित करने के खिलाफ रैली निकाली और उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि सरकारी भूमि होते हुए भी निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए दूरस्थ और अव्यवस्थित क्षेत्र को चुना गया।
इस याचिका में मुख्य प्रतिवादी के रूप में…
खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (राजकीय जिला चिकित्सालय), उपखंड अधिकारी कुचामन सिटी, तथा श्रीराम बालाजी डवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. के निदेशक राजकुमार माथुर को नामजद किया गया है।
याचिकाकर्ता के अनुसार इन सभी की भूमिकाएं भूमि चयन से जुड़े निर्णयों में रही हैं, जो इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं।
इस प्रकरण में अस्थायी लोक अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 27 मई 2025 की तारीख तय की है। इसमें सभी पक्षों को तलब किया गया है।
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