नावां न्यूज: नमक रिफाइनरी संचालकों की धोखाधड़ी इस बात से समझी जा सकती है कि ये लोग बॉलीवुड का सहारा लेकर अपने घटिया गुणवत्ता के नमक की धड़ल्ले से बिक्री कर रहे हैं।
खाद्य नमक में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिलाने के साथ साथ तय मानकों से अधिक पोटेशियम फेरो सायनाइड मिलाया जा रहा है।

जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ भी धोखा हो रहा है। झील के नमक से रिफाइंड करने के बाद भी नमक में काले पत्थर और मिट्टी रह जाती है, जिसे निकालने के लिए इन रिफाइनरियों में कोई तकनीक नहीं है।


यह न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन कर रहे हैं बल्कि उनकी सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

किस तरह है यह धोखेबाजी का जाल…
एक नमक रिफाइनरी में अवैध रूप से कई चीजें होती हैं जैसे कि बाल श्रम, मजदूरों का शोषण। मजदूरों को ना सुरक्षा के संसाधन दिए जाते है। इस वजह से प्रशासन की नजर इन पर बनी रहती है। कई बार बड़ी कार्रवाई भी इन पर होती है, जिससे छवि खराब होने के डर से ये लोग एक तरीका अपनाते हैं।
ब्रांड का प्रमोशन और मजदूरों का शोषण…
ये अपने ब्रांड को प्रमोट करवाने के लिए एक साफ-सुथरी छवि वाला बॉलीवुड अभिनेता ढूंढते हैं, जिनकी फॉलोइंग काफी ज्यादा हो, ताकि उनकी छवि के पीछे इनकी रिफाइनरी का काला सच छिप सके। काफी पैसा देकर एक अभिनेता को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाने के बाद ये लोग खुलेआम अपनी घटिया क्वालिटी का नमक मार्केट में उतारते हैं।
कई राज्यों में इनके नमूने फेल….
कई राज्यों में इन रिफाइनरियों में तैयार नमक की जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से नमूने लेकर जांच की जाती है तो वह नमूने फेल हो जाते है, जिसके कई मामले न्यायालयों में लंबित पड़े है कई मामलों में विभागीय कार्रवाई के बाद मामला निस्तारित कर दिया जाता है।
नावां न्यूज: प्रदूषण के मामले में भी लापरवाह…
नावां की यह नमक रिफाइनरिया प्रदूषण फैलाने में भी आगे है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी कई मर्तबा इन रिफाइनरियों पर कार्रवाई जाती है और जुर्माने भी लगाए जा चुके है। इन सबके बावजूद रिफाइनरी संचालक रिफाइनरियों में सुधार नहीं कर रहे है। खास बात यह भी है कि रिफाइनरी में गीली लकड़ियां भी जलाई जाती है।
नोट – kuchamadi.com पर जल्द ही अलग अलग राज्यों में सरकार की ओर वितरित किए जा रहे नमक की सप्लाई के टेंडरों में गड़बड़ी का भी जल्द खुलासा किया जाएगा।
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