
कुचामन न्यूज: सरकारी दूरसंचार कंपनी BSNL की कार्यशैली को लेकर पाँचवा कस्बे के नरेन्द्र कुमार जैन ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2001 से उनके निजी भवन में BSNL का दफ़्तर चल रहा है लेकिन 25 वर्षों में अधिकांश समय किराया समय पर नहीं मिला। अब स्थिति यह हो गई है कि पिछले दो माह से भुगतान अटका हुआ है और कोई स्पष्ट जवाब भी नहीं मिल रहा।


जैन ने बताया कि पहले किराया ज़िला स्तर पर स्वीकृत होकर राज्य कार्यालय से पास होता था, जिससे भुगतान अधिकतर तय तारीख़ों पर मिल जाता था। लेकिन अब सारे अधिकार दिल्ली कार्यालय को हस्तांतरित कर दिए गए हैं।
स्थानीय और राज्य स्तरीय अधिकारी केवल सिस्टम में किराया अपलोड करते हैं, जबकि अंतिम स्वीकृति और भुगतान का फैसला दिल्ली से होता है।
“अब किराया कब मिलेगा, यह दिल्ली तय करती है। स्थानीय अधिकारी सिर्फ इंतज़ार करते हैं। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों समाप्त हो गई हैं।”
उनका कहना है कि 2-4 माह की देरी अब BSNL की सामान्य कार्यप्रणाली बन चुकी है।
“अगर उपभोक्ता BSNL का बिल देर से भरे तो उस पर तुरंत पेनल्टी लगती है, लेकिन BSNL जब किराया महीनों बाद देता है, तो कोई ब्याज या मुआवज़ा नहीं देता। यह RBI के नियमों का सीधा उल्लंघन है।”
उन्होंने यह भी बताया कि जब भी किराया बढ़ाने की बात की जाती है, BSNL ‘लीज डीड में संशोधन संभव नहीं’ कहकर बात टाल देता है।
“जबकि BSNL खुद जब कोई संपत्ति किराए पर देता है तो हर साल बढ़ी दर से वसूली करता है। नियम केवल उपभोक्ताओं और भवन मालिकों के लिए हैं?”
जैन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर BSNL के पास भुगतान करने के लिए फंड नहीं है, तो पाँचवा में स्थित भवन तत्काल खाली कर दिया जाए।
“हम कोई खैरात नहीं मांग रहे ये हमारा हक है। किराया समय पर दो वरना भवन छोड़ो।”
अंत में उन्होंने भारत सरकार और संचार मंत्रालय से मांग की कि ऐसे मामलों में नीतिगत स्पष्टता लाई जाए और दिल्ली स्तर पर बैठे अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।
“अगर समय पर भुगतान नहीं हो सकता तो इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। BSNL जैसी संस्थाओं की भुगतान नीति पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए।”
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