
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- प्रदीप जांगिड़

नावां न्यूज: नावां के सफेद नमक की रिफाइनरियों में काम कर रहे नाबालिग बच्चों ने कहा कि “सुबह यहां आता हूं। ताकि रात को परिवार को खाना मिल सके।”


यह बच्चा जो एक नमक रिफाइनरी में काम कर रहा है, क्या इसका शोषण हो रहा है?
जवाब है, हां।
प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे हैं?
जवाब है, वे एसी ऑफिस में सो रहे हैं।
जनप्रतिनिधि क्या कर रहे हैं?
जवाब है, राजनीति में व्यस्त हैं।
इन सभी जवाबों में एक सवाल का जवाब आज नावां के प्रशासन से भी पूछा जा रहा है कि कहा है वह शिक्षा नीति जिसका संरक्षण संविधान करता है? क्या अब प्रशासन इससे बड़ा हो गया है?
जो एक मासूम बच्चे के जीवन को खत्म होते देख रहा है। जिस हाथ में किताबें होनी चाहिए, फावड़ा है। कंधों पर स्कूल बैग होना चाहिए था, वहां नमक के कट्टे लदे हैं।
जहां मां अपने बच्चे के लिए स्कूल का टिफिन बनाकर भेजती हैं और कहती हैं कि अच्छे से ध्यान लगाकर पढ़ना।
वहीं, आज एक आर्थिक तंगी से लाचार मां का बच्चा घर से रिफाइनरी की ओर निकलता है और वह कहती है कि बेटा राशन खत्म होने वाला है, साहब से कुछ पैसे मांग लेना।
बच्चा इसके बाद रिफाइनरी चला जाता है। जहां दिन भर काम करने के बाद वह रिफाइनरी मालिक से पूछता है कि क्या कुछ रुपए मिल सकते हैं, जरूरत है? लेकिन उसे कुछ नहीं मिलता। उल्टा जवाब मिलता है कि ज्यादा पैसे मांगे तो कल से मत आना।

हालांकि, मालिक को यह पता है कि वह बच्चे की मजबूरी का फायदा उठाकर कम वेतन दे रहा है, फिर भी उसे उतने रुपये भी नहीं मिलते।
इधर, उसकी मां सोच रही होती है कि कहीं दुकानदार पुराना बकाया काटकर कुछ देने से इनकार ना कर दे। हालांकि वह सोचती है कि अगर कुछ पैसे मिल गए तो आज का खाना तो घर में आ ही जाएगा।
इतने में बेटा घर लौटता है। मां उसे बतलाने ही लगती है, लेकिन वह सिर झुकाकर कमरे में चला जाता है। मां को समझ में आ जाता है कि उसे पैसे नहीं दिए गए।
यह एक नाबालिग की आपबीती है, जो सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं से आज भी वंचित है। आज भी पैसे के लालची लोग उसका फायदा उठाकर दिन भर मजदूरी करवा रहे हैं।
संविधान में लिखा है कि नाबालिग को पढ़ने-लिखने का अधिकार है साथ ही बाल श्रम एक गंभीर अपराध है, इस पर पूर्ण प्रतिबंध है।
हालांकि, आज भी नावां की दर्जनों रिफाइनरियों में काम करते नाबालिग मिल जाएंगे। जिनकी परवाह न तो सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों को है न ही प्रशासन को।
हैरानी की बात तो यह है कि अगर कोई इस बारे में आवाज उठाता है। शिकायत करता है, फिर भी उसकी शिकायत कागजों में नहीं उतरती क्योंकि समय पर पेमेंट आ जाता है…
बाल कल्याण समिति नागौर के अध्यक्ष मनोज सोनी ने कहा कि समिति की टीम नावां में विभिन्न रिफाइनरियों पर भेजी जाएगी।
यदि वहां नाबालिग बच्चे मिलते हैं, तो मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद बच्चों को वहां से बरामद कर समिति में भेजा जाएगा ताकि वे समाज की मुख्य धारा और विकास से जुड़ सकें।
नोट – (नाबालिग बच्चों की फोटो और पहचान उजागर नहीं हो इसके लिए खबर के साथ मेटा एआई की प्रतीकात्मक फोटो काम में ली गई है।)
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