
कुचामन न्यूज: राजस्थान में इस बार सर्दी का असर काफी कम देखा गया है, जहां जनवरी से फरवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ती थी, वहीं इस साल फरवरी के अंत तक कई इलाकों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।

26 फरवरी को जालोर में तापमान 36.3 डिग्री दर्ज किया गया, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मार्च-अप्रैल की गर्मी इस बार समय से पहले ही शुरू हो गई है।


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इसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता में आई कमी है, जिससे मावट बेहद कम हुई। इस वजह से रबी की फसलों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, खासकर गेहूं, दलहन और सरसों की पैदावार प्रभावित हुई है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, सर्दियों के मौसम में राजस्थान में औसतन 8.7 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार यह 50 प्रतिशत घटकर सिर्फ 4.36 मिमी रह गई।
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अजमेर में सामान्य मावट 6.8 मिमी होती है, जबकि इस बार मात्र 1.7 मिमी ही दर्ज हुई। डीडवाना-कुचामन सहित कई अन्य जिलों में भी बारिश में भारी गिरावट देखी गई है। यहां तक कि राजस्थान के आठ जिलों में एक बूंद भी मावट नहीं गिरी, जिससे गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी के बाद कुछ पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होंगे, जिससे तापमान में 3-4 डिग्री की कमी आ सकती है, लेकिन यह ज्यादा प्रभावी नहीं होंगे।
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इसके बाद तापमान में लगातार वृद्धि होगी। वर्तमान में भीलवाड़ा, बीकानेर, जोधपुर और उदयपुर में तापमान पहले ही 30 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मई-जून में यह और अधिक बढ़ सकता है।
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