Kuchaman News: कुचामनसिटी. दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। ये हालात राष्ट्रीय राजधानी ही नहीं शिक्षा नगरी कुचामन में भी है। कुचामन में तो प्रशासन ने कोचिंग सेंटरों की जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा है। यहां तो कई स्कूल भी बेसमेंट में ही संचालित हो रहे है।
दिल्ली के इस हादसे ने देशवासियों को झकझोर दिया। जो युवा आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने संजोकर अपना घर बाहर, सुख सुविधा छोड़कर परीक्षा की तैयारी के लिए गये थे, वो मुनाफाखोर कोचिंग संचालक की धूर्तता, सरकारी अमले की अकर्मण्यता और लापरवाही के चलते अपनी अमूल्य जिंदगी गंवा बैठे।
कुचामन के डीडवाना रोड पर बेसमेंट में संचालित एक लाइब्रेरी
Kuchaman News: ज़रा सोचिये उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी। इस व्यवस्था के व्यवस्थापक इतने गैर जिम्मेदार और लज्जाहीन हैं कि उनकी नजर में किसी की जान की कोई कीमत ही नहीं है। जलभराव की वजह से हादसे की ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई हादसों में बच्चों की जान जा चुकी है। दिल्ली हो या फिर कोई कुचामन, कमोबेश सरकारी अमले की कार्यप्रणाली एक समान ही है। हादसे के बाद प्रशासनिक अमला गहरी नींद से ऐसे जागता है मानो उन्हें इस बात का इल्म ही न हो कि उनके क्षेत्र या शहर में क्या अनियमितता हो रही हैं।
3 माह पहले राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा के एक हॉस्टल में आग लगने से 8 स्टूडेंट्स झुलस गए। घटना के वक्त हॉस्टल में 60 से ज्यादा छात्र मौजूद थें आग लगने के बाद हॉस्टल में भगदड़ मच गई इस बीच एक छात्र ने अपनी जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। जांच में हॉस्टल मालिक की बड़ी लापरवाही सामने आई। हॉस्टल मालिक ने अंदर ही बिजली का एक बड़ा ट्रांसफार्मर लगवाया हुआ था जिसमें शॉर्ट सर्किट होने से यह हादसा हुआ।
ये घटनाएं उन सरकारी दावों-वादों की पोल खोलती हैं जिनमें ये कहा जाता है कि प्रशासन व्यवसाियक और अन्य गतिविधियों का संचालन नियम कानून के दायरे में करवा रहा है। यह भी अफसोस की बात है कि ऐसे हादसों की जांच तो होती है, लेकिन उनके आधार पर क्या कार्रवाई हुई, यह मुश्किल से ही पता चलता है।
Kuchaman News: लगता है कि हादसों की तरह उनसे संबंधित जांच रपटों को भी भुला दिया जाता है। वहीं स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, फायर विभाग और अन्य संबंधित विभागों को व्यावसायिक भवनों के निर्माण और संचालन में कागजी कार्रवाई और फाइलों का पेट भरने की बजाय ईमानदारी और पारदर्शिता से नियम कानून का पालन करवाना चाहिए। यहां सवाल देश के युवाओं और छात्रों का है। यहां सवाल देश के भविष्य का है। यहां सवाल छात्रों के अभिभावकों का है।