हेमन्त जोशी @ कुचामनसिटी।
प्रदेश की सरकार में उपमुख्य सचेतक और नावां विधायक महेंद्र चौधरी की सबसे बड़ी लड़ाई उनकी पार्टी के ही बागी हुए नेताओ से है। कभी उनके कांग्रेस में साथी रहे नेता ही आगामी चुनावो में उनके खिलाफ बगावत में खड़े है। वह चाहे पूर्व विधायक विजयसिंह चौधरी हो चाहे भाजपा नेता ज्ञानाराम रणवां समेत अन्य। महेंद्र चौधरी के धुर विरोधी नेताओ में वही है, जो कभी कांग्रेस पार्टी में रहे हैं या फिर कांग्रेस में महेंद्र चौधरी के साथ रहे हैं।
किस्सा कुर्सी का भाग 4 में आपको बता रहे हैं महेंद्र चौधरी की सबसे बड़ी राजनीतिक कमजोरी। जिसके चलते कांग्रेस की वर्तमान सरकार में कद्दावर नेता के रूप में जाने माने चेहरे महेंद्र चौधरी को अपने विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ता है। बहरहाल इसका खामियाजा महेंद्र चौधरी को कितना उठाना पड़ेगा यह तो चुनाव परिणाम के बाद स्पष्ट होगा लेकिन यह सच है कि नावां में कांग्रेस कमजोर भी हुई है।
1998 में टिकट लाते ही बागी हुआ परिवार –
हम आपको बता दें कि 2013 के चुनाव में महेंद्र चौधरी को हार का मुंह दिखाकर विधायक बने विजयसिंह चौधरी का परिवार कभी कट्टर कांग्रेसी रह चुका हैं। वर्तमान में भी भाजपा से विजयसिंह चौधरी ही महेंद्र के बड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। इनके पिता रामेश्वरलाल चौधरी कांग्रेस से विधायक रहे हैं और यह परिवार भी मूल रूप से कांग्रेसी रहा है। 1998 में महेंद्र चौधरी को कांग्रेस की टिकट मिलने पर यह परिवार बागी हो गया।
दरअसल पारिवारिक राजीनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में विजयसिंह पहले निर्दलीय चुनाव लड़े और बाद में 2010 में भाजपा से प्रधान बने और 2013 में भाजपा से ही विधायक चुने गए। इनके बड़े भाई दारासिंह चौधरी भी कांग्रेस के नेता रह चुके हैं।
नाराजगी से भाजपा में आए ज्ञानाराम-
भाजपा से 2013 और 2018 में टिकिट की दावेदारी कर चुके ज्ञानाराम रणवां 2008 के चुनावों में महेंद्र के करीबी थे। 2008 में महेंद्र चौधरी के विधायक बनने के बाद 2010 में ज्ञानाराम कांग्रेस से अलग हो गए। इसके बाद इन्होंने भी भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया।
गुर्जर समाज से कांग्रेस में बड़ा चेहरा थे एडवोकेट राजेश गुर्जर
नावां पंचायत समिति में भाजपा की वर्तमान प्रधान संतोष गुर्जर के पति एडवोकेट राजेश गुर्जर कभी कांग्रेस से गुर्जर समाज का बड़ा चेहरा थे। यह भी विधायक महेंद्र चौधरी से नाराजगी के चलते 2014 में भाजपा में शामिल हुए और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। अब राजेश गुर्जर नावां विधानसभा में भाजपा की तरफ से गुर्जर समाज का चेहरा है। इनकी नावां क्षेत्र में अच्छी राजनीतिक पकड़ भी है।
कांग्रेस से पालिकाध्यक्ष रही पत्नी और अब नवीन गोधा रालोपा में
नावां नागरपालिका में भाजपा के बोर्ड के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस से नावां नगरपालिका में अध्यक्ष बनी सरिता जैन के पति नवीन गोधा महेंद्र चौधरी के पिछले कार्यकाल में सबसे करीबी नेता के रूप में जाने जाते थे। महेंद्र चौधरी से नाराजगी के कारण ही नवीन गोधा ने पहले पार्षद का निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस- भाजपा को हराकर पार्षद बनें और अब वह रालोपा के साथ है।
नुकसान तय
इनके अलावा भी कई नेता और सरपंच ऐसे हैं जो पहले कांग्रेसी विचारधारा के थे लेकिन अब महेंद्र चौधरी की बगावत कर रहे हैं। हालांकि महेंद्र चौधरी का नावां विधानसभा में बाहुबली की तरह सत्ता चलाना भी लोगों को रास नहीं आ रहा है। जिससे भी लोग कांग्रेस से टूटकर दूसरे दलों की तरफ बढ़ रहे हैं।
भाजपा में एक अनार-सौ बीमार, बड़ा सवाल- महेन्द्र चौधरी से मुकाबला करेगा कौन ?
Bhoukaal macha rakha hai nawa vidhan sabha me to ab patrkar mahoday ko sach se samna karana pada