अरुण जोशी @ नावांशहर।
सडक़ सुरक्षा अभियान का भी असर नहीं
दुपहिया वाहन दुर्घटना के अस्सी प्रतिशत मामलों में मौत का कारण सिर पर गंभीर चोट लगाना है। हेलमेट पहनने से जान बच सकती है लेकिन लोग हेलमेट लगाने में लापरवाही करते है। जिसके चलते समय आने पर लोगों को हर्जाना भी उठाना पड़ता है। बिना हेलमेट वाले अधिकतर युवाओं का डर भी चालान से बचने तक का है। नतीजन हेलमेट नहीं लगाने से हादसों से जिन्दगी रुखसत हो रही है। लोगों को समझना चाहिए कि हेमलेट बंदिश नहीं जिन्दगी को बचाने का सुरक्षा कवच है। हेलमेट नहीं लगाने के चलते किसी के सिर से पिता का तो किसी के सिर से भाई का साया उठ जाता है मगर कई वाहन चालक हेलमेट की उपयोगिता समझ ही नहीं रहे। पुलिस के आंकड़े इसके गवाह है। शहर के मेगा हाइवें पर आए दिन सडक़ दुर्घटनाएं होती रहती है लेकिन दुपहिया वाहन चालक हेलमेट के महत्व को ध्यान नहीं रखते है। आज की पीढी के युवा अपने बालों की सैटिंग खराब ना हो जाए इसके चलते अपनी जिन्दगी के साथ खेल रहे है। सौन्दर्य के चक्कर में हेलमेट नहीं लगाकर अपनी जिन्दगी को खतरे में डालना भी शौक हो गया है। हेलमेट न लगाने से भले ही कई बार हादसों में लोगों की जान बच जाती है लेकिन इसके बावजूद भी कई तरह की दिक्कते आ सकती है। चोट से कोमा और याददाश्त जाने की भी समस्या हो सकती है।
पुलिस की सख्ती नहीं– पुलिस कार्रवाई पर नजर डालें तो इस वर्ष में गीने चुने चालान बनाए गए है। पुलिस व परिवहन विभाग को केवल सडक़ सुरक्षा सप्ताह के दौरान ही हेलमेट याद आते है तथा चालान किए जाते है। पुलिस व परिवहन विभाग की सख्ती नहीं होने के चलते लोगों में हेलमेट के लिए जागरुकता नहीं आ रही है तथा सडक़ सुरक्षा अभियान का भी असर नजर नहीं आ रहा है।
जागरुकता की आवश्कता– पुलिस व परिवहन विभाग को हेलमेट को लेकर आमजन में जागरुकता फैलानी चाहिए। लोगों से हेलमेट की समझाइश करते हुए उन्हें इससे होने वाली हानियों के बारे में बताने से लोग हेलमेट लगाने की ओर जागरुक हो सकते है। यातायात कर्मी लगाकर चालान काटने का सिलसिला नियमित रखना चाहिए जिससे लोग चालान के डर से भी हेलमेट नियमित लगा पाएंगे।
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इनका कहना–
हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर अभियान तो चलाया जाता है फिर भी लोगों में जागरुकता नहीं आती है। दुपहिया वाहन चालकों को स्वयं भी पहल करनी होगी। फिर से अभियान भी चलाया जाएगा।
कन्हैयालाल यादव
परिवहन निरीक्षक नावां।