– नमक उत्पादको की बढ़ी चिंता
– हर वर्ष की तुलना में 60 फीसदी उत्पादन घटा – गुणवत्ता में भी आ रही गिरावट
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अरुण जोशी. नावांशहर। क्षेत्र में इन दिनों गर्मी के मौसम में बार-बार होने वाली बारिश ने नमक उत्पादन को प्रभावित किया है। बेमौसम हो रही बारिश ने नमक उत्पादको व रिफाइनरी संचालकों की चिंता को बढ़ा दिया है। हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष केवल चालीस फीसदी नमक उत्पादन हुआ है। परिणामस्वरूप खाद्य नमक की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई है। नमक का उत्पादन आमतौर पर फरवरी महीने में तेजी शुरू होता है और जून तक चलता है। सूर्य के प्रकाश की प्रचुर उपलब्धता के कारण मार्च से जून को पीक सीजन माना जाता है। सालाना औसतन 20 से 25 लाख टन नमक का उत्पादन करते हैं। जो नावां को प्रदेश में पहला व देश में दूसरे स्थान पर अग्रणी निर्माता बनाता है। इस वर्ष फरवरी माह से लगातार बार बार बारिश होने से नमक उत्पादन में काफी व्यवधान हो रहा है। जिससे इस वर्ष राजस्थान सहित उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार, बंगाल में नमक की कमी आ सकती है। जिसका परिणाम रहेगा की व्यापारियों को गुजरात से नमक मंगवाना पड़ेगा इससे खाद्य नमक के भावों में तेजी आएगी।
मैं सांभर झील हूं…
भावों में नही आ रही गिरावट –
बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण इस साल कुल नमक उत्पादन सालाना औसत से 60 फीसदी कम रहा है। जिसका परिणाम है की नमक में भावों में गिरावट आने के बजाय तेजी आ रहीं है। हर वर्ष इस समय नमक के भाव 80 से 100 रुपए प्रति क्विंटल के आस पास रहते है लेकिन इस वर्ष 170 रुपए प्रति क्विंटल तक अच्छी गुणवत्ता का नमक बिक रहा है। जिससे मंडी को काफी नुकसान हो रहा है।
नमक में सेहत से खिलवाड़ का मुनाफा !
इस वर्ष नही सुधर रही गुणवत्ता-
सीजन में बार बार बारिश होने से नमक की गुणवत्ता में भी सुधार नहीं हो पा रहा है। बार बार बारिश होने से नमक में पत्थर की कंकरी आ रहीं है। हर वर्ष सीजन शुरू होने के बाद शुरू की एक क्रॉप में कंकरी की शिकायत आती है। लेकिन इस वर्ष लगातार नमक का उत्पादन नहीं होने से कंकरी आ रहीं है। क्षेत्र में नमक उत्पादन हेतु मुरड़ की क्यारियां बनाई जाती है। लगातार नमक उत्पादन होने से नीचे नमक की परत जम जाती है उससे नमक में कंकरी नहीं आती है। लेकिन इस वर्ष बारिश होने से क्यारियो के तल पर नमक की परत नहीं जम रही। इससे नीचे की कंकरी नमक के साथ इकट्ठी होती है।