दस प्रतिशत हिस्सा भी नहीं हुआ संरक्षित
प्रशासन की ओर से नहीं की जा रही समग्र कार्यवाही, सैंकड़ों की तादाद में बोरवेल रोक रहे माता के श्रद्धालुओं का रास्ता
नावां शहर। प्रशासन की ओर से सांभर झील को संरक्षित करने के लिए लगभग दो साल से लगातार प्रयास किया जा रहा है तथा नियमित कार्यवाही भी की जा रही है लेकिन भेदभाव की कार्यवाही होने के चलते सांभर झील क्षेत्र अतिक्रमण व अवैध बोरवेलों से मुक्त नहीं हो पाया है। प्रशासन की ओर से केवल मोहनपुरा झील क्षेत्र में कार्यवाही की जाती है जबकि झील क्षेत्र में खाखडक़ी गांव से मां शाकम्भरी के मंदिर के बीच सैंकड़ों की तादाद में बोरवेल है लेकिन प्रशासन की ओर से कार्यवाही नहीं की जाती है। माता के मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खाखडक़ी रोड़ होते हुए झील के अन्दर से माता के मंदिर जाने वाले मार्ग पर सैंकड़ों की तादाद में बोरवेल है तथा मार्ग के बीच में से अवैध विद्युत केबिले गुजर रही है। जिससे लोगों को करंट का भी भय लगा रहता है। लेकिन प्रशासन की ओर से आज तक इस क्षेत्र में कार्यवाही नहीं की गई है। प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद समग्र झील क्षेत्र में कार्यवाही नहीं की जाकर केवल एक क्षेत्र में कार्यवाही कर इतिश्री कर ली जाती है जिससे झील संरक्षित होने के बजाय ओर अधिक दशा खराब हो रही है। इसके साथ ही विद्युत चोरी पर लगाम कसने के लिए विद्युत निगम की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। एनजीटी के आदेशों के अनुसार सांभर झील का संरक्षण करने के लिए अनाधिकृत रुप से डाली गई विद्युत केबिलों को हटाने की कार्रवाई की जानी थी। लेकिन नमक उद्यमियों का सहयोग करते हुए निगम के अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर लीपापोती कर इतिश्री कर ली। इसके साथ ही उपखण्ड अधिकारी व तहसीलदार की ओर से कार्यवाही की जाने पर विद्युत निगम की ओर से अवैध रुप से डाली गई केबिलों के खिलाफ कार्यवाही के लिए संबंधित उपभोक्ता पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
झील से प्रशासन ने फेरा मुंह- सांभर झील को बचाने के लिए प्रशासन की ओर से कई बार कवायद शुरु की गई। झील को बचाने के लिए कई बार कार्रवाइयां शुरु की जाती थी लेकिन बीच में ही रोक दी जाती थी। खाखडक़ी गांव के पास सैंकड़ों बोरवेल होने के बावजूद प्रशासन कोई कार्यवाही नही करता है।
निगम कर रहा उद्यमियों का सहयोग- कुछ माह पूर्व निगम के अधिकारियों की ओर से नमक उत्पादन इकाईयों में की जा रही विद्युत चोरियों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही थी। जिस पर नमक उद्यमियों के लाखों रुपए का जुर्माना लगाकर कार्रवाई की गई। सभी जगहों पर मीटर बदले जाकर चोरी पर लगाम लगा दी गई। नमक उद्यमी अपनी उत्पादन इकाई से झील क्षेत्र में केबिल ले जाकर बोरवेल चलाते है। निगम के अधिकारियों ने इसे भी विद्युत का दुरुपयोग बताते हुए अवैध बताया है। लेकिन एनजीटी के आदेश होने के बाद निगम के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय इनका सहयोग कर रहे है। अवैध बिछाई गई केबिलों के खिलाफ अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
झील संरक्षण की कार्रवाई महज दिखावा
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