मस्जिदों में भारी तादाद में नमाजी हुए शरीक, अल्लाह की बारगाह की किए सजदे,मांगी दुआएं
विमल पारीक. कुचामनसिटी/डीडवाना. ईद आने की खुशियां और माहे रमजान जाने का गम। इसके बीच माहे रमजान की शुरुआत भी शुक्रवार यानी जुमें से और संभवतया आखिरी रोजे को भी जुमें के अनूठे संयोग के साथ आज कुचामन क्षेत्र की तमाम मस्जिदों में आखिरी जुमें यानी जुमा तुल विदा की नमाज अदा की गई । रहमतों और बरकतों के रमजान के महीने के 29वे रोजे पर हजारों लोगों ने मस्जिदों में शुक्रवार को जमातुलविदा की नमाज अदा की। जोहर की अजान के साथ ही मस्जिदों में नमाजी जुटने शुरू हो गए थे और नमाज के वक्त तक मस्जिदों में तिल रखने की भी जगह नहीं बची। यूं तो रमजान के पाक महीने में लम्हा-लम्हा खास है लेकिन रमजान के आखिरी जुमा को बेहद खास माना जाता है इसके मद्देनजर आखिरी जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में भारी तादाद में नमाजी मौजूद रहे। नमाज से पहले उलेमाओं ने अलविदा रमजान का खुतबा पढ़ा। तकरीर में अल्लाह के बताए रास्तों पर चलने की हिदायत दी गई और माह ए रमजान में अल्लाह की रहमतों और बरकतों के बारे में बताया। कुचामन की मस्जिद ए मेहराब में मौलाना शहाबुद्दीन ने पूरी तकरीर अलविदा माहे रमजान पर की। उन्होंने बताया कि जब रमजान माह की विदाई की घड़ी आती है तो आसमान से फरिश्ते भी रोते हैं ओर इस पाक और बरकत के महीने में हर वक्त खुदा की रहमत बरसती हैं। मिर्जा मस्जिद में इमाम अब्दुल वाहिद नईमी ने तकरीर के दौरान ईद की नमाज से पहले सदका ए फित्र अदा करने का आह्वान किया।
तकिया मस्जिद के इमाम फरीद अंसारी ने अपनी तकरीर में रमजान में कायम की गई नमाज को आगे भी जारी रखने का आह्वान किया। तय वक्त के मुताबिक मस्जिदों में आखिरी जुमे की नमाज पढ़ी गई और नमाज के बाद सूबे और मुल्क में अमन-चैन और तरक्की की दुआ की गई। कई मस्जिदों में नमाज के बाद सलाम पढ़े गए।